विशेष बात

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विशेष बात
*पागल् कुत्ते को मारने के लिए भी स्वांस रोकनी पड़ती है*

ठगी प्रकरणों की व्यापकता भयावहता और ठगों की शक्ति को बिना जाने बिना समझे कोई भी इस लड़ाई को जीत नहीं सकता।।
विश्व इतिहास के सबसे क्रूरतम और सबसे ताकतवार ठगों से लड़ना है हमें,  इस तथ्य को जबतक हम समझेंगे नहीं तबतक अंतिम परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आएगा।
ठग और बेईमान दोनों से साथ साथ लड़ने की भूल हम पहले कर चुके हैँ उस भूल को अब न दोहराएं।।
पहले ठगों से लड़ लेते हैँ बेईमानों से मोदी जी लड़ते रहेंगे हम उन्हें सहयोग करेंगे।।
ठगों से लड़ाई में शासन हमें सहयोग करे हम बेईमानों से लड़ने में शासन को सहयोग करेंगे।।
हमें शासकों को यह समझाना पड़ेगा कि बिना ठगों का अंत किये आप देश को तीसरी अर्थव्यवस्था नहीं बना सकते और ठगों से तभी लड़ा जा सकता है जब शासन ठगी पीडितों का भुगतान कर दे ताकि एक बड़ा समूह समाज हमारे पास हो बेईमानों से लड़ने के लिए और भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए।।
केवल बातों से यह सब नहीं होगा हम सबको मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। कुछ त्यागना ही होता है सुन्दर भविष्य पाने के लिए जबतक हम त्याग की भावना अपने अंदर पैदा नहीं करेंगे तबतक कैसे अपने लक्ष्य को पाएंगे सोचो भाई लोगो। बिना समर्पण के इस युद्ध को हम जीत नहीं सकते इस तथ्य को सभी साथियों को समझना चाहिए।।
ठग चालाक हमसे कहीं ज्यादा हैँ, ठगों के पास जो नहीं है हमें उसका प्रयोग करना होगा।।
धन जन चलाकी ताकत सब हमसे कहीं ज्यादा है ठगों के पास उनके पास नहीं है तो केवल ईमानदारी, हमें ईमानदारी का प्रयोग करके ही ठगों को ढेर करना है।
यही एकमात्र अस्त्र है जो ठगों का सर्वनाश कर सकता है।
हम सब कुछ गंवा बैठे हैँ लेकिन ईमानदारी अभी शेष है जिसे जाग्रत करके हम ठगों का अंत कर सकते हैँ अपना खोया हुआ धन मान सम्मान वापस ले सकते हैँ।
हम ईमानदार रहेंगे तो प्रकृति ईश्वर सब हमारी सहायता करेंगे।।
मै काफी समय से प्रयास कर रहा हूँ इस लड़ाई के महत्व को समझाने का लेकिन साथी समझते नहीं हैँ बहुत कम साथी ऐसे हैं जो शान्ति से मन लगाकर सीख रहे हैँ और उन्ही चंद साथियों के कारण हम आज जीत के मुहाने पर खड़े हैं।
जल्दबाजी अनुशासनहीनता और पुरानी विचारधारा के कारण इस लड़ाई को हम बार बार हारते रहे हैँ इसबार नहीं हारना है जीतना है।
मै बार बार कहता हूँ थोड़ा संयम रखो जैसा कहा जाए वैसा करो लेकिन भाई लोग अतिरेक में आकर मेरी बातों को विस्मृत करते हुए बार बार पुराने ढर्रे पर चलने लगते हैँ।
हम एक पागल कुत्ते को भी मारते हैँ तो उसके लिए स्वांस रोकनी पड़ती है यानी संयम रखना पड़ता है, उखड़ती स्वाँसों से न आप प्रहार कर सकते हैँ न लक्ष्य भेद।।
इस छोटी सी बात को जो समझ लेंगे वह जीत जाएंगे।।
इसलिये सब साथी ध्यानपूर्वक पहले पढना और फिर लिखना आरम्भ करें।।
ताकि हम इस भयावह संकट पर विजय पा सकें।

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