आज का गीता ज्ञान मिशन भुगतान
सभी साथी ध्यान से मेरी बात पढ़ें और मनन करें बहुत काम की बात बता रहा हूँ।।
सतयुग में सब स्वतः मर्यादित थे लेकिन अंत आते आते कुछ लोभी लोग मर्यादाओं का हनन करने लगे थे और क्षत्रियों की हवस परशुराम जी के क्रोध से भी शांत नहीं हो पाई थी इसलिए श्रीराम ने त्रेता में आकर सबको मर्यादा का पाठ पढ़ाया और मर्यादाओं को पुनः स्थापित किया।।
द्वापर में त्रेता सतयुग की सब मर्यादाओं को राजाओं ने तोड़ दिया और वह प्रजा पर अनावश्यक अत्याचार करने लगे और स्वयं आपस में भी जानवरों की तरह लड़ने लगे जिसके परिणामस्वरूप समूचे देश में भयानक शोषण उत्पीड़न ऊंच नीच और छल का तांडव नृत्य हुआ। इस अनाचार अन्याय अत्याचार शोषण भेदभाव और छल कपट को समाप्त करने के लिए और नई मर्यादाओं को स्थापित करने वास्ते कृष्ण ने छल का जवाब छल से दिया और गेंहू के साथ घुन को भी पीस दिया ताकि धर्म विरुद्ध कार्य करने वालों में असत्य के साथी धर्मात्माओं में भी भय उतपन्न हो और एक वास्तविक न्यायपूर्ण धर्म की स्थापना हो।।
आज कलयुग चल रहा है जहां न कोई मर्यादा है न धर्म है न सत्य है न न्याय है केवल बहुमत का राज है जिसके साथ जिसके पास बहुमत होगा भले ही वह झूठा बेईमान कपटी ठग चोर जार व्यभिचारी कलंकी कोढ़ी कैसा भी हो वही धर्मात्मा वही राजा वही शासक वही विजेता होगा।।
युगीन परिस्थितियों को भूलकर जो भी धर्म की मर्यादा की सत्य की न्याय की बात करेगा वह भले ही कितना भी बड़ा देशभक्त हो सत्यवादी हो न्यायप्रिय हो भक्त हो ठग बेईमानों से तब तक नहीं जीत पायेगा जबतक वह अपने पक्ष में जनमत पैदा नहीं कर लेगा।।
जनमत कैसे पैदा हो इस प्रश्न पर आप सबको विचार करना होगा और अपना आचरण भी उसी के अनुकूल बनाना होगा।।