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प्रातः वंदन साथियो।
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की क्रांतिकारी कविता 🥰वीर तुम बढे चलो🥰 बचपन में हम सबने पढ़ी होगी इसे आज पुनः पढ़ो ताकि हम सब उसी ऊर्जा में वापस लौट चलें जो बचपन और जवानी में थी। कितना जोश था कितना आत्मबल था, कहाँ डरते थे किसी से!
आज भी नहीं डरना।
9 अप्रेल 2025 को सुबह 10 बजे सब घरों से बाहर निकलो थाली बेला लौटा चम्मच कटोरी कटोरा गिलास ढोलक बीन मृदंग चिमटा डमरू इत्यादि लेकर और चल पड़ो थाने चौकी तहसील कलेक्ट्रेट राजभवन सचिवालय संसद इत्यादि सरकारी भवनों की ओर पूरी शक्ति और एकता के साथ सामूहिक स्वर से
🇮🇳भुगतान करो या सत्ता छोड़ो, ठग बेईमानो भारत छोड़ो🇮🇳
के उदघोष से ठग बेईमानों के कलेजे फाड़ दो।
अंधेरा कितना ही घना हो उसे छोटा सा दीपक भी चीर देता है हम सब तो एक बहुत बड़ी शक्ति हैं। हम सबको स्वयं नारायण सुरक्षा दे रहे हैं, हमारा मार्ग सत्य का है, हमारी मांग न्यायपूर्ण है, सत्याग्रह हमारा हथियार है जो संसार का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है जिसकी काट किसी सरकार सेना पुलिस ठग बेईमान के पास नहीं है इसलिए निर्भय होकर आगे बढ़ो जीत आपकी होगी, ठग बेईमानों का अंत करेंगे और अपना जमाधन खोया हुआ सुरक्षा सम्मान वापस लेंगे और भारत माता को ठग बेईमानों के खूनी पंजों से मुक्त करेंगे।।
इस मुक्ति संग्राम में भय के लिए कोई स्थान नहीं है इसलिए अपने पूर्वजों के गौरव को बढ़ाते हुए आगे बढ़ो और छीन लो दुष्टों से वह सब जो तुम्हारा है।
वीर तुम बढे चलो
धीर तुम बढे चलो।
सामने पहाड़ हो,
सिंह की दहाड़ हो।
तुम निडर डरो नहीं,
तुम निडर डटो वहीं।
निवेदक
मदन लाल आजाद
संस्थापक संयोजक